Thứ Sáu, 9 tháng 1, 2015

क्या हमारे बस कुश है

क्या हमारे बस  कुश है य़ेह एक ऐसा सवाल है जिसका आज तक कई मतों ने अपना अपना मत पेश किया है किसी ने इस में करम सिद्धांत को पेश किया   से अपनी मर्जी से कोई धार्मिक करम बताये है पर यह सभी करम जिसको  कर कर रहे है असल में करम तो नहीं है। असल में बहुत से ऐसी चीजे हमारी जिंदगी  जो की हमारे ही बस से बहार हो जाती है तब हमे पता चलता है की ऐसा बहुत कुश है जो हमारे बस में नहीं हो रहा है। तो  हमे तो बस यह भरम पड़ा   हुआ है की यहाँ कुश हमारी मर्जी से चल रहा है। पर ऐसा बिलकुल  नहीं है यहाँ सब कुश उस परमेश्वर की मर्जी से चल रहा है। अब यहाँ पर एक बात हमारे मन में आएगी की अगर यहाँ पर सब कुश यहाँ हमारी मर्जी से नहीं हो रहा है तो क्या बुरा भी अपनी मर्जी से नहीं हो रहा। इसमें भी एक  भेद है उसमे भी एक ज्ञान है परमेश्वर सब ज्ञान सबको दे रहा है और ज्ञान देने का तरीका अलग अलग है। क्योकि सब का  सभाव  अलग अलग है और सबको  किसी एक तरीके से ज्ञान नहीं दिया जा सकता है सबको गलत तरीके से ज्ञान नहीं दिया जा सकता है सबको सही ज्ञान देने के लिए इसको अलग अलग हालत में परमेश्वर को रखना पड़ता है किसी को परमेश्वर गरीब बना कर उसको ज्ञान करवा रहा है और किसी को अमीर बना कर वो ज्ञान दे  रहा है उसको ज्ञान सबको देना है और वो ज्ञान उसको देना है जिसकी प्राप्ति करती हुए चेतना उसी में समा जाती है . और यही हमे यहाँ पर आकर करना है जितना हम परमेश्वर के हुकम को मानते जाते है उतना ही हुकम हमारे पक्ष में होता जाता है यही संसार का नियम है और उसी से हमारी बुद्धि अग्गे बढ़ सकती है ,अगर हम अपनी ईशा को परमेश्वर की ईशा के अधीन कर ले तो कभी भी जीवन में दुःख नहीं हो सकता है और हमेशा ही जीवन में सुख हो

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