Chủ Nhật, 1 tháng 2, 2015

ब्रम्चारी होना एक पाखंड है

ब्रम्चारी होना एक पाखंड है ,हमने सभी ने ऐसा सुना है अपने देश की लोग और साधु ब्रम्चारी रहने पर बड़ा जोर देते ब्रम्चारी का अर्थ वो जो  लेते है की अपने आप को इस्त्री से दुर रखना और और सेक्स से बचना इस का अर्थ लिया जाता है पर क्या जे वाकया सम्भव है ,,,हम यह देखते है की इंसान की  सेक्स एक सरीरक जरुरत है इसको न तो दबाया जा सकता है और न ही किसी भी तरह से सेक्स को बिलकुल ही छोड़ा जा सकता है ,यह अपने अप्प में सम्भव  ही  नहीं है। अब मन का काम या वासना में लिप्त  होना एक अलग  है और शारीरक तोर पर सेक्स करना  एक क्रिया है जो हर एक  की जरुरत है। इस लिय एजिस तरह  साधु दावा करते है ऐसा  कुश भी होना सम्भव नहीं है और यह  अपने आपको मानसिक रोगी बनाना ही है और कुश भी नहीं है। और ज्ञान के मार्ग के ऐसा करने  आवश्यकता नहीं है  खुराक है और सरीर की खुराक बाहर है ,सरीर की जो जरुरत है वो  पर्कार से पूरी करनी ही पड़ती है उसको पूरी करे बिना यह रह ही नहीं सकता जैसे कोई आदमी कितनी देर तक जो पानी और खाना छोड़ सकता है आर एक दिन उसको भूख परेशान कर ही देती है। इस लिए ऐसे पाखंड से बहार आना चाहिए बल्कि अपने चरितर निरमन पर जोर देना चाइए।  ऐसे ही साधु है देश में  की लड़कीओ के साथ गलत काम करते है क्योकि उनको अपनी वाशना किसी न किसी तरह तो पूरी करनी ही पड़ेगी ,असल मन   को ज्ञान के द्वारा ही काबू में रखा जा सकता है जब तक यह ज्ञान की खोज करता रहता है  उतनी देर तक यह ज्ञान में ही लगा रहता है और जब इसको फ्री छोड़ दिया  जाता है उसी वक्त ही इसको कुश  न  नया ज्ञान चाइये ही जिसकी वजह से हमेशा रस मिलता रहे  जब ज्ञान से मन हट जाता है तो यह शारीरक रस पर अ  जाता है और वहाँ  आकर अपना ज्ञान लेने लगता है इस लिए मन को  हमेशा ही  ज्ञान में लिप्त करके रखना चाइए ही यही एक तरीका है  जिस कारन यह कभी भागता नहीं है

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